लालु प्रसाद यादव को सुनाई फैसला चौदह साल की सजा और साठ लाख की जुर्माना

लालु प्रसाद यादव को १५ मिनट में सुनाया गया फैसला!

चारा घोटाला के दुमका कोषागार से जुड़े एक मामले में सी बि आई के विशेष अदालत में शनिवार को पहली बार सबसे बड़ी सजा सुनाई गी है।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुप्रीमो राजद के लालु प्रसाद यादव एवं पशुपालन विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर को १४-१४ वर्ष की सजा और ६०-६० लाखों का जुर्माना लगाया गया है। चारा घोटाला मामले में लालु प्रसाद जी का ये चौथा फैसला है।

अदालत में दोनों दोषीओं को आईपीसी और पीएस एक्ट के धाराओं में अलग अलग सात सात साल की सजा और ३०-३० लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। दोनों सजायें अलग-अलग चलेगी, जुर्माना नहीं भरने पर एक-एक साल के सजा अतिरिक्त भुगतना पड़ेगा।
अदालत ने इस मामले में १७ लोगों को सजा सुनाई, अदालत ने सप्लायर को साढ़े तीन साल की सजा और १५ लाख रुपये  जुर्माना की सजा सुनाई गयी है।
डाक्टर और अधिकारियों को पीसी एक्ट की धारा में साढ़े तीन साल और आईपीसी के धारा साढ़े तीन साल मिलाकर सात साल की सजा सुनाई गयी है, और उनपर ३० लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इनकी सजा भी अलग-अलग चलेगी। ये मामला दुमका कोषागार संख्या आरसी ३७ए-९६ से सम्बंधित है। दुमका कोषागार से ३.७६ करोड़ के अवैध निकासी के सम्बंधित है। 

दिन ११ बजे अदालत के करवाई शुरू की लालु प्रसाद के अलावा सभी आरोपी विडियो कांफ्रेंस में शामिल हुए। ११:५ मिनट में फैसला आने लगे। पहले अजित शर्मा, वरुण कुमार सिंह और केके प्रसाद को सजा सुनाई गई। फिर लालु प्रसाद और दिवाकर को सजा सुनाई अंत में एम एस वैदी को सजा सुनाई और ११:२० मिनट में करवाई खत्म हुई।

इस मामले में दोषीयों की चल-अचल संपत्ति जब्त की जायेगी, सीबीआई के विशेष न्यायाधीश का ये आदेश है। कोर्ट ने न्यायाधीश को ये आदेश दिया गया १९९० के बाद सभी दोषीओं के नाजायज संपत्ति लिये गये हैं, कोर्ट के फैसला के मुताबिक उसे जब्त करे और जो मर चुके हैं उनके संपत्ति जब्त किया जाए।

फुलचन्द सिंह तत्कालीन सचिव, विमल कांत दास तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर, नंद किशोर प्रसाद, वेटनरी ऑफिसर केके प्रसाद एकाउंटेंट, पितंबर झा, केके प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद, राधा मोहन मंडल तत्कालीन वेटनरी ऑफिसर एसके दास असिस्टेंट है।


१९९६ में सीबीआई ने दर्ज की थी प्राथमिकी, मुल आंवटन १.५ लाख रुपये के मुकाबले ३.७६ करोड़ रुपये की अवैध निकासी को लेकर, सीबीआई ने साल १९९६ ने प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में ५९ अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में चार्ज शीट दाखिल कि गयी थी। उनमें से तीन सरकारी गवाह बन गये थे। एक आरोपित दुमका के तत्कालीन कमिश्नर एसेन दुबे पर लगा आरोप ऊपरी अभियुक्तों का निधन हो गया। इस मामले में गुरुवार को फैसला होना था लेकिन लालु प्रसाद की एजी को आरोपी बनाए जाने की आपील पर सुनवाई के वजह से तिथि आगे बढ़ गये।

पशुपालन विभाग से कुल आंवटन से दोगुना पैसे निकाले गये हैं। सीबीआई कोर्ट ने अपने आदेश में राशि निकासी का भी उल्लेख किया है। आदेश में कहा कि आवंटन से ज्यादा कोषागार से निकासी की गयी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि १९८८-१९८९ से १९९५-१९९६ के बीच पशुपालन विभाग को सरकार के तरफ से ४९१.१८ करोड़ रुपये का आंवटन किया था। इसके के दौरान दुमका कोषागार से ११९५.८७ करोड़ की निकासी कि गयी है। आठ वर्ष में १७ से लेकर २२९% की ज्यादा से ज्यादा निकासी की गयी हैं। इस निकासी में सरकार और उसके अधिकारी एवं सप्लयार शामिल हैं।

दुमका कोषागार से फर्जी बिल के आधार पर ३.७६ करोड़ के अवैध निकासी की गयी थी। बिना खर्च के बिल बनाया गया और कोई बिल फर्जी भी बनाया गया है। सीबीआई ने १९९६ साल में जांच शुरू किया जिसमें सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया १९ दोषीओं पर जुर्माना भी लगाया, अदालत ने ५.२५ करोड़ रुपए का जुर्माना वसुल ने आदेश दिया है।

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