पॉपुलर फ्रंट एवं आर एस एस इनमें से कोन है देश भक्त और कौन है आतंकवाद ?
इस्लाम धर्म को समझने वाले धर्म गुरु चाहे उसे मौलवी कहें या मौलाना। इस्लाम धर्म मे एक जेहाद शब्द को लेकर राजनीतिक में निहायत खराब रूप दिया गया है।
अक्सर धर्म गुरु ने जिहाद शब्द को जंग या तो लड़ाई और फसाद मे रंग रूप इस्तेमाल कर चुके हैं। जिनको मुद्दा बना कर इस्लामिक कय पार्टी भी बना चुके हैं।
कितने पार्टी ऐसे भी बना जो आतंकवाद के नाम से जाना जाते हैं, जिहाद के नाम पर सैंकड़ों बेगुनाह की जाने लिये जाते हैं। और कितने पार्टी ऐसे भी जो जिहाद को सही मानों में समझने पर भी गलत इस्तेमाल करते हैं।
पॉपुलर फ्रंट कोई इस्लामिक पार्टी में से नेही हैं, और न ही इस्लाम वो काम करने कि इजाजत देती हैं जो वह करते हैं! ये एक आर एस एस के तरह हैं जो हिंसा को जन्म दिया करते हैं, लोगों को एक दुसरे के खिलाफ़ विद्रोह करने और धर्म के नाम पर आतंक फैलाने वाले काम करने का संगठन है।
आर एस एस और पॉपुलर फ्रंट कोई अलग जात नहीं बल्कि एक ही मां के दो सन्तान हैं, आर एस एस हिन्दुओं का शाखा तो पॉपुलर फ्रंट मुसलमानों पर हिंसा फैलने वाले शाखा है। ऐसे संगठन देश के लिए आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि आतंकवाद कुछ ग्रह होते हैं जो खुद आक्रमण करते हैं, लेकिन ऐसे धार्मिक संगठन आतंकी हमले नहीं करते बल्कि अहंकार फैलता है, आतंकवाद को जन्म दिया करते हैं।
इस्लाम को कोई नये संगठन की जरूरत नहीं है, बल्के इस्लाम एक परिपूर्ण विधान पहले से ही हैं! जिहाद माने लड़ाई नेही बल्के वो लड़ाई जो शांति कायम करने के लिये लड़े जाते हैं, जिहाद वह आंदोलन है जो आपने हक लिये नहीं दूसरों को हक दिलाने के लिये आंदोलन किया जाता हैं।
हजरत मुहम्मद (स) ने फ़रमाया के युद्ध सिर्फ अन्याय अत्याचार करने के विरुद्ध किया जाता है। न कह कोई धर्म अस्तित्व को हासिल करने के लिये।
और एक बात से पता चलता है कह हज़रत मुहम्मद (स) ने लड़ाई यानि युद्ध को हमेशा के लिये खत्म करने चाहते थे। साहवी (रजि) से हजरत मुहम्मद (स) ने युद्ध नीति समझाते हुए फ़रमाया १.जब तुम युद्ध करने में आमने सामने हो तो सबसे पहले सुलह करो, अगर सुलह से काम बन जाये इससे बेहतर और कोई युद्ध नहीं!
२.अगर सुलह से बात न बने, तो युद्ध तय है लेकिन पहले वार मत करो विपक्ष को पहले हथियार उठाने दें।
३.किसी धर्म गुरु का हत्या मत करो।
४.बच्चों और औरतों को कत्ल न करें।
५. किसी के फसल नष्ट ना करें।
६.अगर कोई भयभीत होकर माफी मांगे तो उसे मौका दें।
७.अगर कोई युद्ध क्षेत्र छोड़ कर भागने लगे तो, उनको पीछे से हमला नहीं करे उन्हें जाने दें।
८.अगर किसी व्यक्ति को बंदी बनाते हो उसके साथ वही व्यवहार करो जैसे आपने भाइयों के साथ करते हो।
इस युद्ध नीति से स्पष्ट होती हैं, की इस्लाम धर्म कभी युद्ध नहीं पसंद किया। बल्के युद्ध को हमेशा के लिये खत्म करने चाहा।
लेकिन "जिहाद" क्या है ?
जिहाद शब्द युद्ध से कोई सम्बन्ध नहीं, जिहाद वो शब्द हैं जो एक आंदोलन है चाहे धर्म, अन्याय, अत्याचार,भ्रष्टाचार सभी क्षेत्रों में शामिल क्यों न हो हक़ के आंदोलन और लड़ाई है। जिहाद कलम भाषणों के मध्यम से और मदद के लिये माल से होती है, ना कह हथियारों से..
हजरत मुहम्मद (स) ने फ़रमाया के युद्ध सिर्फ अन्याय अत्याचार करने के विरुद्ध किया जाता है। न कह कोई धर्म अस्तित्व को हासिल करने के लिये।
और एक बात से पता चलता है कह हज़रत मुहम्मद (स) ने लड़ाई यानि युद्ध को हमेशा के लिये खत्म करने चाहते थे। साहवी (रजि) से हजरत मुहम्मद (स) ने युद्ध नीति समझाते हुए फ़रमाया १.जब तुम युद्ध करने में आमने सामने हो तो सबसे पहले सुलह करो, अगर सुलह से काम बन जाये इससे बेहतर और कोई युद्ध नहीं!
२.अगर सुलह से बात न बने, तो युद्ध तय है लेकिन पहले वार मत करो विपक्ष को पहले हथियार उठाने दें।
३.किसी धर्म गुरु का हत्या मत करो।
४.बच्चों और औरतों को कत्ल न करें।
५. किसी के फसल नष्ट ना करें।
६.अगर कोई भयभीत होकर माफी मांगे तो उसे मौका दें।
७.अगर कोई युद्ध क्षेत्र छोड़ कर भागने लगे तो, उनको पीछे से हमला नहीं करे उन्हें जाने दें।
८.अगर किसी व्यक्ति को बंदी बनाते हो उसके साथ वही व्यवहार करो जैसे आपने भाइयों के साथ करते हो।
इस युद्ध नीति से स्पष्ट होती हैं, की इस्लाम धर्म कभी युद्ध नहीं पसंद किया। बल्के युद्ध को हमेशा के लिये खत्म करने चाहा।
लेकिन "जिहाद" क्या है ?
जिहाद शब्द युद्ध से कोई सम्बन्ध नहीं, जिहाद वो शब्द हैं जो एक आंदोलन है चाहे धर्म, अन्याय, अत्याचार,भ्रष्टाचार सभी क्षेत्रों में शामिल क्यों न हो हक़ के आंदोलन और लड़ाई है। जिहाद कलम भाषणों के मध्यम से और मदद के लिये माल से होती है, ना कह हथियारों से..
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