हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन साउथ प्लेटफार्म में टीटी और जी आर पी ने छीन रहा है, गरीब मजदूर के पैसे ।
हाथों में पानी की बोलते और कंधे पर लटकते बैग, परिधान को देखते हुए समझ में लगते है की वें एक गरीब मजदूर वर्ग के है। अक्सर हमारे बिहार, झारखण्ड, असाम, पश्चिम बंगाल के गरीब मजदूर अपनी रोजगार के लिये साउथ इंडियन को चयन करने में मजबूर हो जाते हैं। क्योंकि के चेन्नई इन्डस्ट्रीज में सबसे बड़ा शहर है। दुसरे ओर देखा जाए तो पुने और मुम्बई रोजगार प्रदान करने वाले शहरों मे से है।
लेकिन पश्चिम बंगाल, बिहार, असाम, झारखण्ड जैसे मजदूरों को साउथ इंडिया जाने के लिये हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन आना जरुरी है, क्योंकि चेन्नई पुने,केरल, बैगंलोर और मुम्बई जाने वाली ट्रेन हावड़ा से ही खुलती है।
गरीब मजदूर वर्ग के लोग ज्यादातर अनपढ़ और सीधा साधा होने के वजह सरकारी रेलवे कर्मचारी के चुगंल मे आकर फंस जाते है। दिन रात मेहनत करने के बाद बीवी बच्चों घर परिवार त्याग करके वर्षों बाद जब खुशी खुशी घर लौटते समय मैयुस हो कर घर लौटना पड़ता है।
चैन्नई सेन्ट्रल से हावड़ा जंक्शन जाने वाली ट्रेन जैसे हावड़ा मैल, कोरामंडल एक्सप्रेस ऐसी काफी ट्रने है जो साउथ प्लेटफार्म हावड़ा मे रुकती है, हावड़ा स्टेशन गाड़ी रुकते ही टीटी के एक दो गिरोह एकाट्ठा हो जाते हैं और उन मजदूर को ढूंढना शुरू कर देते हैं, सिर्फ मजदूर से इतना पूछता कि कहां से आए। चेन्नई, मुम्बई, पुने बताने पर टिकट भी नहीं देखते एकाट्ठा पकड़ कर साउथ रेलवे बिल्डिंग के दुसरे छत मे सवालों में बहाका कर, बैग जैव की तलाशी की जाती है। आधार कार्ड मांगता है दिखने पर डुपलीकेट है original,लाओ अलन फालन कर जी आर पी की धमकी देखा कर सारे पैसे और टिकट छीनकर दुसरे टिटि के हवाले कर दिया जाता है और दुसरे टिटि फाइन रशीद थमा देते हैं।
इन मजदूर में अगर कोई व्यक्ति द्वारा शिकायत दर्ज किया जाये तो गवाह मांगी जाती है। अफसर मे कोई सुनवाई नहीं होती है, उलटे डांट के सिवाय। मै ये कहना चाहता हूँ की सरकार जब रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाते तो दुसरे पर ये जुल्म क्यों? क्यों पैदा करते हैं सरकारी गुंडे और बदमाशों जाल, क्या गरीब लोगों की अपनी मेहनत की कमाई जीने वाले हक भी छीन ने लगे हो ?
रेलवे स्टेशन में टिटिई और जी आर पी की गुंडागर्दी बंद नहीं होने से बेहतर है कि रेल मार्ग बंद कर देना चाहिए। बर्धमान जंक्शन रेलवे स्टेशन में भी खुले आम टिटि लुटेरे दिखाई देती है। साफ साफ पता चलता है कि इन नीच काम में आला अफसर भी साथ मिलकर काम कर रहा है। नहीं तो पदाधिकारी इसके बारे में सुनवाई क्यों नहीं करते हैं, रेलवे सुधार के अब एक ही उपाय बाकी है, और वो है चक्का जाम मांग होगी "कर्मचारी लुटेरे भागाओ गरीब मजदूर बचाव"
ConversionConversion EmoticonEmoticon