भारतवर्ष के सर्वश्रेष्ठ भाषा उर्दू को तरजीह दी गयी

भारत में सबसे बेहतरीन भाषाओं में से उर्दू भाषा को अहमियत दी गयी है।

आज भारतवर्ष में उर्दू भाषा को सबसे अहमियत दी गयी है, भारतीय न्यायालय में जजिस्ट से लेकर वकालत तक उर्दू भाषा इस्तेमाल करते हैं।
जैसे अदालत, मुजरीम करार, मंजूरी, मौका, मोवाक्केल, कैदी व कैद, मजलुम इत्यादि यानी न्यायालय में जितने भी शब्दों का इस्तेमाल किया जाता वो सिर्फ और सिर्फ उर्दू का ही इस्तेमाल होते रहते है। उर्दू एक ऐसी भाषा है, जब सामने वाले सुने तो सुनने वाले मुग्ध हो जाते हैं, ऐसी खुबसूरत भाषा की तरंगें, जो हर व्यक्ति के दिल जगह बना लेती है।
उर्दू भाषा सिर्फ न्यायालय में ही नहीं, सरकारी बहुत सारे विभागों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे अंचल दफ्तर में भी इस्तेमाल होती है ज़मीन के मामले में जैसे- गुमास्ता, ज़मीन, खारिज, दाखिल, सदर, मुफास्सिल इत्यादि इत्यादि।

उर्दू भाषा को ज्यादातर सरकारी कामों ही इस्तेमाल किया करती हैं, और सबसे ज्यादा इस्तेमाल फिल्मी जगत प्रसिद्ध माना गया है। गाने हो या गज़ल उर्दू बिना नहीं सजाया जा सकती, मुस्लिम समुदाय को लेकर जितनी ही फ़िल्म बनी चाहे राजाओं का हो या प्रेम कहानी उर्दू भाषा को चयन किया गया है। जैसे लैला मजनु, हीना, मुग़ल ए आज़म या टीवी में टीपू सुल्तान, उर्दू भाषा दर्शकों के मन को प्रभावित किया है।

सबसे अधिक उर्दू भाषा को आजकल मिडिया ने तरजीह दी। न्यूज चैनल में अगर उर्दू ज़बान का इस्तेमाल न करें तो ख़बर में कोई विशेष दम ही नहीं बनती है। न्यूज चैनल जैसे खुबसूरत उर्दू भाषा बोलने का अंदाज सायेद को न होगी। उर्दू ज़बान की शुरुआत मुगलों ने की हैं, क्योंकि मुगलों की भाषा अरबी थी, और हिंदुस्तान की भाषा हिंदी। जब मुग़ल साम्राज्य द्वारा भारतीय शासक कायम हुए। तो दोनों भाषाओं में फर्क दिखाई दी। मुग़ल बादशाह ने भाषाओं को सरल यानी आसान करने के लिए, अरबी और हिन्दी भाषा को जोड़ कर उर्दू भाषा का ईजाद किया गया था।
आज भारतवर्ष की नयी राजनीति ने, मुगलों पर तरह तरह की अश्लील जुमलेबाजी की जा रही है, दैश का गद्दार भी कही गयी है, बाबरी मस्जिद के बाद अब ताजमहल को निशाना बनाया जाने वाले से मेरे निवेदन है कि, आज हमारे भारतवर्ष में मुगलों द्वारा निर्मित सिर्फ किला ही नहीं उन्होने देश को संस्कार सिखाया भेदभाव नष्ट करके सर्वधर्म को एक साथ जिने का शिक्षा प्रदान किया, सिर्फ वह ही नहीं भारतवर्ष में एक नये भाषा को जन्म दिया, जो कि आज उच्चतम सरकारी संगठनों में एकमात्र उर्दू भाषा के रुप में शामिल हैं।

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