मां तेरी यही कहानी वे पोस्ट को एक बार जरुर पढ़ें

मां शब्द एक ऐसे शब्द है कितनों कठोर व्यक्ति क्यों न हो सुनते ही हृदय में एक अजीब अनुभूति होती हैं। लेकिन बेटी पर क्यों नहीं?

हर बेटी मां है मगर दुनिया में इस शब्द को अपने मस्तिष्क के गहराई में सोचने पर ध्यान हीन हो जाते हैं। अक्सर क्यों वें कमजोरी के कारण आज हर मां इस दुनिया में जन्म लेने में डरती है, जब बेटी गर्भाशय में रहते हैं तभी से खतरा की घड़ी उसके लिए शुरू हो जाती है।
आजकल के दौर में विज्ञान इतनी तरक्की कर गयी कि गर्भाशय से पता लगा लेते कि बेटे जन्मेगा की बेटी, अगर बेटी तो कितने लोग गर्भाशय से ही हत्या कर देता है। दुनिया में आने का सिलसिला ही खत्म।
अगर पैदा हो भी जाती तो कितनों के लिए घर में मातम जैसे हालत बन जाती है। जन्म देने वाली मां पति और उनके परिवार के नजर से गिर जाती है,सिर्फ वही नहीं जन्म देने वाली मां पर समाजिक समस्याएं को भी सहने पड़ती है।
बेटी जब खड़ी होना सिखे तभी से उनके गोद में बच्चे लाद दिया जाता है या तो घरेलू काम में हाथ बाँटाना शुरू, स्कूल भी जाए तो जाने के बाद और आने से पहले घरेलू देखभाल में लगे रहते हैं।
बेटी युवती होने पर पराई घर की लक्ष्मी कहलाते हैं, वह लक्ष्मी जो दहेज़ के रुप में दुल्हन को शिकार करता है। अगर पिता गरीब हो उनके लिए बेटी समस्याएं पैदा हुआ करते हैं, कितने बेटियां को दहेज़ प्रथा के लिए अपनी जानें गवाने पड़ती है। बेटियाँ जब बहु बनकर जाते, तो उस दिन मां बाप और घर को हमेशा के लिए त्याग देना पड़ता है।
अब रहा घर परिवार की बातें ससुराल में सास ससुर पति और व्यवहार, तबतक वहु बनकर रहना पड़ता है जबतक ससुर सास के साथ हो। अब बना घर संसार फिर से वही दौर जैसे कि बेटियाँ अपने मां बाप की जीवन में बिताते हुए देखा। बेटियाँ जब मां बनती है, तो नौ महीने अपने गर्भ में बच्चों के धड़कन को बैगर सोये सुनते रहती है। वो भी बैगर अपनी जान के न परवाह करते हुए।
अपने बच्चों को जन्म देते ही दुनिया के सारे सुख को कुर्बानी कर देती है अपने बच्चों की ख़ातिर। हर कदम पर धड़कने हर पल पर सांसे एक मां ही जो गिनते रहती है। बच्चे अगर कोई खिलौने पर चाहत करते है तब मां जहाँ से भी क्यों न उसके तमन्ना पुरा करते रहती है। बच्चे जब बीमार हो जाये पास पैसे न हो तो भीख माँगने तैयार हो जाती है। बचपन से लेकर जवानी तक बच्चे की हर मुरादें पुरा करते रहती। बच्चे जब जवान हो जाता तो अपने किसी चीज की जरुरत पड़ ने पर अपने पिता से नहीं मांगते मां को बोलते हैं, एक मां ही है जो अपने पति से बोलते, अगर बच्चे वक्त पर घर न पहुंचा तबतक मां नहीं सोती जबतक बच्चे घर न लौट आए।

अब आये सास बनने की पारी, जब बच्चे की शादी हो जाए तो बहु उन सास के लिए बेटी बन जाती है। क्योंकि मां के लिए बेटे ही सबकुछ होता है।
जब आई दादी की पारी, तो मां को एक नये साथी मिल जाती है। पोते पर इतना ख्याल रखती है उतना ख्याल सायेद मां को भी रखने का मौका नही देती।
जब मां बुढ़ापे में आ जाए तो बेटे के लिए समस्याएं बनकर खड़े होने लगता है। मां को भुख लगे तो खुद से खाना खाने का हक छीन लिया जाता है, जबतक बहु उनको खाना सामने न दें। मां अपनी बिमारी को छुपाती है इसलिए के बेटे खर्च में न पड़ जाए, मां अपने बेटे से उतना ही प्यार करती है जितना शुरू से करते चले आ रही है।
किसी बात को खोलकर बहु बेटे से कहने मे डरती है कह उसे डांट न दें। जरा सी गलती हो जाते तो ऐसा सलुक किया जाता जो एक पराई से भी न किया हो। कितनों मां अपने बेटे की ख़ातिर बहु के ज़ुल्म से अपने घर छोड़कर रास्ते की भिखारी बन गयी सोनेके लिए जगह सड़क बन गया। फिर भी बेटे के लिए मुँह से हुआ ही दुआ निकलती है।
मां तेरे कितने रुप - कभी बेटी तो कभी दुल्हन, कभी बहु तो कभी विधवा, कभी मां तो कभी सास, कभी दादी तो कभी नौकरानी, कभी डायन तो कभी भिखारन मां तु गर्भाशय से लेकर मृत्यु तक दुनिया में हम सबके लिए अपनी मुस्कान को बांटने आई। क्या ले गयी तु, सब छोड़ गयी। आई तो सिर्फ हमें जन्म देने के लिए, लेकिन बेटी से लेगर दादी तक दुनिया ने तुझे पहचाना नहीं, दुनिया दिया तो तुझे क्या दी,सिर्फ और सिर्फ दुख भरे आंशु। हां दोस्तों बेटी न होती तो हम नहीं होते हर बेटी एक दिन बड़ी होकर मां ही बनती है। आज हम बेटी को नकारते है। हम उसे मां के गर्भ में मार डालते हैं, मगर हम उसे आने ही नहीं देते तो हमारे क्या होगा हम कैसे जन्म लेते अगर हमारे मां के साथ ऐसे होती तो?  रहा दुसरे बात बेटी को हमारे लिए नहीं होती वह तो चंद दिनों का मेहमान बनकर पिता के घर में रहते हैं। वह बेटी किसी कि मां हैं, जो सिर्फ और सिर्फ अपने बच्चों की सेवा करने के लिए आई हैं।
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